मैं हमेशा से पढ़ाई में अच्छा रहा हूँ जिस कारण मुझे काफी अच्छा कॉलेज मिला जहाँ से मैं इंजीनियरिंग कर रहा हूँ, तीसरे
वर्ष में ! मैं घर साल भर में दो तीन बार ही आ पाता हूँ। मेरे घर में मेरे
अलावा मुझसे तीन साल बड़ी मेरी बहन है जो हॉस्टल में रहती है और मम्मी
पापा हैं। मम्मी एक सरकारी विद्यालय में अध्यापिका हैं और मेरे पापा एक
बैंक मेनेजर हैं।
मेरी
छुटियाँ होने ही वाली थी जब मेरी मम्मी ने फोन पर मुझे हमारे नए पड़ोसियों
के बारे में बताया। मेरी मम्मी उनको लेकर काफी खुश लग रही थी और बता रही
थी कि वो लोग दोस्ताना स्वाभाव के हैं और मेरी मम्मी के काफी अच्छे दोस्त
भी बन गए हैं। कुछ ही दिनों में मैं दो महीनों के लिए अपने घर आया।
मम्मी ने बताया कि आंटी मुझसे जल्दी से जल्दी मिलना चाहती हैं इसलिए मैं अगले ही दिन उनके घर चला गया और मुझे उस परिवार से मिलने का पहले मौका मिला।
मम्मी ने बताया कि आंटी मुझसे जल्दी से जल्दी मिलना चाहती हैं इसलिए मैं अगले ही दिन उनके घर चला गया और मुझे उस परिवार से मिलने का पहले मौका मिला।
परिवार
छोटा ही था जिसमें सिर्फ भाई बहन और मम्मी पापा थे। बहन का नाम आस्था था
और उसके भाई का रोहण। आस्था करीब 19 साल की होगी और रोहण 10 साल का। आंटी
ने मेरा उनसे परिचय करवाया और बताया कि आस्था भी इंजीनियरिंग के दूसरे साल
में है।
आस्था 19 साल की एक मस्त लौंडिया थी जिसको देखते ही मुँह में पानी आ जाये, गोरा रंग, बी-कप वक्ष, मस्त गांड और कद 5'5"। जब वो चलती थी तो उसकी बड़ी गांड देखने में बड़ा मजा आता और मन करता कि अभी कुतिया बना कर चोद डालूँ साली को।
आस्था
और रोहण मेरे घर मेरी मम्मी के साथ बैडमिन्टन खेलने रोज शाम को आया करते
थे। मैं भी उनके घर कभी कभार चला जाता था पर सिर्फ आंटी से ही बात कर रह
जाता था। फिर एक दिन हुआ यूँ कि मेरे मम्मी-पापा घर पर नहीं थे। हमारी
रिश्तेदारी में किसी के यहाँ लड़का हुआ था तो इसी खुशी में पार्टी थी।
मम्मी-पापा वहीं गए थे। आस्था और रोहण घर खेलने के लिए आये पर मेरी मम्मी
को न देखकर आस्था ने मुझसे उनके बारे में पूछा।
मैंने उसे बताया- मम्मी-पापा पार्टी में गए हैं।
अब उसे खेलने के लिए एक पार्टनर की जरुरत थी तो उसने मुझसे खेलने के लिए कहा।
मेरे मन में ठरक तो पहले से ही उठी थी तो मैंने मौके का फायदा उठाने का सोचकर बोला- अभी बाहर धूप है, कुछ देर में खेलते हैं और अभी तुम अंदर आ जाओ।
वो अंदर आ गई मगर उसका भाई बाहर ही कुछ खेलने लगा।
वो जब अंदर आई तो मेरा कंप्यूटर चालू था, डेस्कटॉप देखकर उसने कहा- यह क्या लगा रखा है?
डेस्कटॉप
पर एक गन्दा सा वालपेपर लगा था। वालपेपर अश्लील नहीं था मगर एक बदसूरत
कुत्ते का था। तब मैंने उसे कुर्सी पर बैठने को बोला और कहा- बेब्स फोल्डर
में जाकर तुम अपनी मनपसंद का वालपेपर लगा दो।
यह
कहकर मैं जानबूझ कर वहाँ से रसोई में चला गया। बेब्स फोल्डर में बहुत सारी
नग्न और बहुत ही सेक्सी तसवीरें थी। जब मैं वापिस आया तो मैंने देखा कि वो
उन तस्वीरों को जल्दी जल्दी बदल कर देख रही है।
मैंने कहा- शरमाने की कोई बात नहीं है, तुम इन्हें आराम से देखो।
यह
कहकर मैंने उसे कुर्सी से उठाया और खुद बैठ जाने पर उसको अपने टांगों के
बीच की जगह में कुर्सी पर बैठा लिया। वो मेरी गोद में तो नहीं थी पर मेरा
लंड उसकी गांड से टकरा रहा था और हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
मैंने
अब अपना हाथ उसकी कमर पर घुमाना शुरू किया जिसका उसने कोई ऐतराज़ नहीं
किया। कुछ देर बाद उसने मुझे शरमाते हुए ब्लू फिल्म देखने की इच्छा बताई
मगर मेरे कंप्यूटर में न होने के कारण मुझे उसे मना करना पड़ा।
कुछ
देर में हमें एहसास हुआ कि शायद रोहण आ रहा है तो वो खड़ी हो गई और मुझे
फोल्डर बंद करने को बोला। मैंने उसे बंद किया और हम लोग बाहर जाकर
बैडमिन्टन खेलने लगे और फिर कुछ देर बाद अँधेरा होने पर मेरे मम्मी पापा आ
गए और आस्था, रोहण भी अपने घर चले गए।
अगले
दो चार दिन मुझे वो दिखाई नहीं दी पर मैं इस बीच कुछ मसालेदार नग्न
फिल्में ले आया था। अगले दिन मैं बाहर जा रहा था तो वो मुझे मिली, उसने बताया कि उसके पेपर आ गए है इसलिए तैयारी करने में उसका सारा समय निकल जाता है।
हमने कुछ देर और बातें की, उसने मुझे अगले दिन दोपहर में अपने घर आने को बोला, उसके मम्मी पापा कहीं जाने वाले थे और रोहण स्कूल। मैं उस रात भर उसकी चूत के बारे में सोचता रहा और मुठ मार कर सो गया।
अगले
दिन करीब एक बजे मैं उसके घर पहुंचा। उसने दरवाजा खोला और उसे देखते ही
मेरा लंड खड़ा हो गया। वो काले रंग के सलवार कमीज़ में थी और बहुत मस्त माल
लग रही थी। फिर क्या था मैं अंदर घुसा और उससे जा चिपका। मेरे दोनों हाथ
उसकी गर्दन पर पहुँच गए और होंठ उसके होंठों को चूसने लगे। मेरे हाथ अब कभी
उसके वक्ष पर जाते, कभी
उसकी गांड पर तो कभी उसकी कमर को सहलाते। हाथ अब इधर उधर उसके गरम बदन पर
भटक रहे थे। वो बेचारे करते भी क्या ! इतना गर्म माल था कि हर जगह का मजा
लेना चाह रहे थे।
कुछ
पल बाद मैं उसके पीछे अपना लंड उसकी गांड में लगाकर खड़ा हो गया। मेरे
दोनों हाथ उसके स्तनों को मसल रहे थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मजे में
उसकी आँखें भी बंद थी, मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।
अब
मेरा एक हाथ उसकी सलवार में चला गया और उसकी कच्छी के ऊपर से उसकी बुर का
मजा लेने लगा। कुछ गीलापन महसूस हुआ तो हाथ उसकी पेन्टी में डाल दिया और
ऊँगली से उसकी चूत को रगड़ कर मजा देने लगा।
अब तक तो वो इस नशे में पागल हो गई थी और आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह कर अपनी गांड और पीछे कर मेरे लंड पर रगड़ रही थी।
कुछ
देर बाद हम एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे को देखते देखते नंगे हो गए।
नंगे होने पर जब मैंने उसके चुचूक देखे तो मैं रुक नहीं पाया और उन्हें
चूसने लगा। क्या गज़ब का शरीर था उसका ! हर जगह से एक दम मस्त ! चूत पर कोई
बाल नहीं और ऊपर से नीचे तक दिन-रात चोदने लायक !
अब
मैंने उसे गोदी में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत को चाटने के
लिए आगे बढ़ा। यह सब मैं पहली बार करने जा रहा था। उसने शर्म के कारण अपनी
टांगों को एक दूसरे से चिपका लिया और मुझे मना करने लगी। पर मैं कौन सा
रुकने वाला था, एक
झटके में उसके पैर खोल दिए और उसकी चूत मेरे सामने थी। चूत चाटने के लिए
जब मैंने अपनी जीभ निकाल कर उस पर लगाई तो मुझे थोड़ा गन्दा स्वाद लगा और
मैं पीछे हट गया। चूत चाटने का ख्याल छोड अब मैं उसके स्तनों को चूसने
चाटने लगा और वो बोलने लगी- आज तो इन्हें पूरा पी जाओ !
यह कहकर अब उसके मुँह से सिर्फ आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ! जल्दी करो ! सिर्फ ये आवाजें आ रही थी।
अब उसने कहा- मुझसे रुका नहीं जाता और इस चूत को ले लो अब ! अपना लंड इसमें डाल इसको फाड़ डालो, पूरा अंदर घुसा दो और मेरी माँ चोद दो !
यह
सब सुनते ही मेरा लंड कड़क होकर एकदम फटने को हो गया। मैंने लंड को उसकी
चूत पर रखकर घुसाने की कोशिश की पर घुसा नहीं पाया। साली की चूत थी ही इतनी
कसी हुई कि मैं क्या करता। मेरे बेचारे लंड का भी आज पहली बार था और मुझे
घुसाने में हल्का दर्द महसूस हो रहा था तो मेरी गांड फटने लगी और मैंने अभी
के लिए उसकी फुद्दी मारने का अपना इरादा छोड़ दिया।
फ़िर
अपना लंड उसके मुँह में डालकर उसको चूसने को बोला। कुछ देर उसने लंड को
ऐसे ही मुँह में रखे रखा। तब मैंने कहा- मेरी प्यारी रांड ! इसे लॉलीपॉप
समझ कर चूसना शुरू कर !
यह
सुनते ही वो भी जोश में आ गई और लंड को हाथ से हिलाते हुए चूसना शुरू
किया। मैं तो जन्नत में पहुँच गया था और उसे बोल रहा था- मान गए मेरी रांड
को .... बस ऐसे ही चूसती रह.. आआआआआह्ह्ह्ह्ह् आआआह्ह्ह्ह्ह् .....
कुछ
ही पल में मेरा झड़ने वाला था और मैंने उसके मुँह में पिचकारी मार दी। कुछ
बूंदें तो अंदर ले गई और बाकी सब बाहर निकाल दिया। अब उसने मेरी और देखा
और मुस्कुराने लगी। कुछ देर यूँ ही लेटे गए और तभी घर कोई आ गया। हमने
फटाफट कपडे पहने और आस्था ने दरवाजा खोला तो पाया कि रोहण स्कूल से घर आया
था।
उसने मुझे देखा और हैरान होकर अंदर चला गया। मैं उस दिन अब चूतिये की तरह वहाँ से भाग आया वो भी बिना उसको चोदे।
अगले
दिन आंटी मेरे घर आई। मैं घर पर अकेला अपने कान में हैड्फोन लगाकर अश्लील
फ़िल्म देख रहा था। आंटी ने दरवाजा खटखटाया मगर मुझे सुनाई नहीं दिया और
मैं मुठ मारता रहा। आंटी ने तब बाहर से अंदर झाँक कर देखा कि अंदर मैं क्या
कर रहा हूँ और तब दरवाजे को काफी जोर से खटखटाया।
इस
बार मैंने उसे सुना और एकदम घबराया और अपना लंड अंदर करके दरवाजा खोला।
मैं आंटी को देख हैरान था। तब मैंने देखा कि वो काफी गुस्से में थी और
मुझसे पूछा- अभी क्या कर रहे थे और कल उनके घर दोपहर में क्या हुआ था?
मैं
समझ गया था कि रोहण ने उन्हें बता दिया होगा। मैंने कुछ नहीं ! कहकर बात
का जवाब नहीं दिया। तब उन्होंने एक दम से मेरे को एक चांटा लगा दिया और
कहा- आज के बाद हमारे घर दिखाई दिए तो तुम्हारी टाँगे तोड़ दूंगी !
मुझे
उनकी यह बात सुन कर बहुत गुस्सा आया और मैंने एक झटके में उन्हें कमर से
खींच कर उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए। उन्होंने मुझे हटाने की कोशिश की पर
अब तक तो मेरे ऊपर हवस हावी हो गई थी। दो मिनट बाद आंटी को भी मजा आने लगा
और उनकी जीभ मेरी जीभ के साथ घूमने लगी।
आंटी
42 साल की मस्त महिला थी। उनकी गांड और चूचियों का आकार काफी बड़ा था और
अपनी बेटी आस्था की तरह वो भी गोरी चिट्टी थी। देखकर लगता था कि अपनी जवानी
में बहुत सारे लोगों के लौड़े शांत कर चुकी होंगी।
मैं
अपने हाथ आंटी की मोटी गांड पर फ़िरा रहा था और उन्होंने मुझे कस कर गले
लगा रखा था। ऐसा लग रहा था कि वो काफी समय से एक लंबी चुदाई की भूखी थी।
मैं आंटी को गोदी में लेकर बैठ गया और नग्न मूवी चला दी। आंटी के स्तन
दबाने में बहुत मजा आ रहा था और वो भी खूब मस्त हो रही थी। उनके मुँह से अब
आआअह्ह्ह्ह्ह के अलावा कुछ और नहीं निकल रहा था और उनके हाथ उनकी चूत पर
पहुँच गए थे। मूवी में अब एक 69 दृश्य चलने लगा, तब मैं आंटी को बिस्तर पर ले गया और हम भी 69 की दशा में आ गए। आंटी ने लंड को चाटना, चूसना शुरू किया। वो एक भूखी कुतिया की तरह लंड को चाट रही थी।
मुझे
बेहद मजा आ रहा था और मैंने उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया। पिछले दिन की
तरह आज मुझे गन्दा नहीं लगा बल्कि मजा आ रहा था ऐसा करने में। मैं चूत
चाटते चाटते उनकी गांड पर थप्पड़ मार देता था तो उनकी गांड हिलती हुई काफी
अच्छी लगती और गांड अब लाल हो चुकी थी। दो ही मिनट में मैं और आंटी दोनों
झड गए। आंटी ने अपना मुँह बिल्कुल नहीं हटाया और सब कुछ चाट लिया। मैं भी
उनकी चूत में घुसा जा रहा था जिसका स्वाद अब नमकीन लग रहा था। अब उन्होंने
मेंरे लंड को छोड़ा और एक लंबी सांस लेकर उठ गई। वो उठ कर एक कुतिया की तरह
बिस्तर पर खड़ी हो गई और मुझे आँखों से उनकी पीछे से चूत मारने का इशारा
किया। मैं पीछे गया और लंड चूत पर लगाकर एक जोर का झटका दिया, मेरा
6 इंच का लंड सीधा अंदर चला गया क्योंकि चूत वैसे ही बहुत चिकनी हो गई थी।
आंटी की एक काफी तेज चीख निकली थी जिसको रोकने के लिए मैंने पीछे से उनके
मुँह पर हाथ रखा। कुछ पल में अब मैं अपनी कुतिया आंटी की सवारी कर रहा था।
उनके मुँह से आवाज़ आ रही थी- चोद दे मुझ रांड को, माँ चोद दे मेरी ,कितने समय से एक ऐसी चुदाई के लिए तड़प रही थी ! आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह !
और
पच पच की आवाजों से पूरा कमरा भर गया था। पीछे से चोदते वक्त गांड बहुत
बड़ी और मुलायम लग रही थी। अब मैं नीचे आया और वो मेरे ऊपर आ कर मेरे लंड
पर बैठ गई। बैठते ही उन्होंने लंड पर उछालना शुरू किया और मेरे हाथ लेकर
अपने वक्ष पर रख उन्हें दबवाने लगी।
वो आँखें बंद कर बोल रही थी- फाड़ डाल मेरी, मैं तो तेरी कुतिया बनके रहूंगी, आज तुम मुझे छोड़ना मत, मुझे पूरी तरह से चुदाई का मजा दो, सभी तरह से चुदाई करो मेरी तुम, चोद और चोद, मेरी चूत की प्यास बुझा दे आज तू ! ऊँगली से थक गई अब एआआह्ह्ह् आआआआह्ह्हह !
मैंने
भी नीचे से एक दो फटके मारे और एक जोर के झटके में सारा माल उसकी चूत में
डाल दिया। वो सिसकाई- आहाहाआह्ह आजा मेरे अंदर आजा ! डाल मेरे अंदर डाल !
दस
मिनट बाद हमने एक और राउंड लगाया और फिर मेरी मम्मी के आने का समय हो गया
था इसलिए वो कपडे पहन जाने की तैयारी करने लगी। जाते वक्त मुझे बोलती कि
मैं आस्था की जगह सिर्फ उनकी चुदाई करता रहूँ।
खैर दोस्तो, होना क्या था, शनिवार को मौका मिला . आंटी को तो मेरे और आस्था का पता है मगर आस्था मेरे और उसकी माँ की चुदम-चुदाई के बारे में नहीं जानती।
खैर दोस्तो, होना क्या था, शनिवार को मौका मिला . आंटी को तो मेरे और आस्था का पता है मगर आस्था मेरे और उसकी माँ की चुदम-चुदाई के बारे में नहीं जानती।